पुरबिया
भदेस संवेदना का अक्षर स्पंदन
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रविवार, 23 जनवरी 2011
पॉपुलर बदलाव
बत्ती बुझने के बाद भी
जल उठती है बत्ती
डूबने के बाद भी
तैरने लगती है कश्ती
पसीने से लथपथ होकर भी
चूकती ना हारती
बस छा जाती है मस्ती
सदी अब उन्नीस नहीं
हो चुकी है इक्कीस
बताने के बहाने भर नहीं
पॉपुलर बदलाव के इजहार भी हैं
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