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सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

प्रतिसौंदर्य की नायिका

जिक्र महिला का हो और बात उसकी सुंदरता को लेकर न हो, ऐसा हो नहीं सकता। पर नए दौर में महिला और सुंदरता का यह साझा मिथक दरक रहा है। महिलाएं आज जहां एक तरफ घर से बाहर कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं तो वहीं कोमलांगी और सौंदर्य की देवी कहलाने की उसकी ललक पीछे छूटती जा रही है। स्त्री सोच में बदलाव की ऐसी ही एक मिसाल हैं हरनाम कौर। हरनाम के चेहरे पर दाढ़ी और मूछें हैं। ब्रिटेन के बर्कशायर निवासी 23 वर्षीय सिख युवती हरनाम कौर के बारे में जब न्यूज एजेंसियों ने इस हफ्ते खबर चलाई तो उसे लेकर हर तरफ दिलचस्पी दिखी। सोशल मीडिया पर हरनाम को स्त्री सौंदर्य की लंबे समय से चली आ रही मर्दाना सोच के खिलाफ एक बड़ी चुनौती का प्रतीक तक करार दिया जा रहा है।
 दरअसल, हरनाम ने यह सब जानबूझकर किया, ऐसा नहीं है। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिड्रोम से ग्रस्त होने के कारण 11 साल की उम्र में ही उसके शरीर पर अनचाहे बाल उगने शुरू हो गए थे। अमृत ग्रहण कर चुकी हरनाम कौर कहती है, 'मैं एक सिखणी हूं। केश कटवाना मेरे धर्म के खिलाफ है। मुझे भगवान ने जैसा बनाया है, मैं उसी में खुश हूं।’ हरनाम कहीं भी जाती है तो सिर पर पगड़ी बांध लेती है। ऐसे में उसे कुछ लोग सरदार तक समझ लेते हैं। पर हरनाम इन स्थितियों से विचलित होने के बजाय इसका आनंद लेती है। इस तरह के तमाम अनुभव अब उसकी जिंदगी का हिस्सा हैं।
दिलचस्प है कि हरनाम आज भले अपनी इस शारीरिक नियति को स्वाभाविकता के तौर पर देखती हैं पर ऐसा नहीं है कि इसके कारण उसे असहज स्थिति का सामना कभी नहीं करना पड़ा। अपने बालों की वजह से उसे स्कूल में खूब ताने सुनने पड़े। इससे उसकी पढ़ाई पर भी असर पड़ा। इतना ही नहीं, कई अनजान लोगों से सोशल वेबसाइट पर उन्हें जान से मारने तक की धमकियां दीं। ये वे दिन थे जब हरनाम अपनी शारीरिक स्थिति को लेकर अस्वाभाविक स्थिति को खुद भी बहुत नहीं समझ पा रही थी और उसके मन में कई तरह की बातें चलती रहती थी। उसे कई बार यह तक लगा कि यह विचित्रता उसके साथ ही आखिर क्यों।
पर हरनाम इन तमाम बातों से घबराई नहीं बल्कि अंदर ही अंदर मजबूत होती गई। शुरू में अनचाहे बालों से परेशान रहने वाली हरनाम हफ्ते में दो बार वैक्सिंग किया करती थी, लेकिन बाद में इरादा बदल गया और उसने हमेशा के लिए दाढ़ी और मूंछ रखने का फैसला कर लिया।
हरनाम कबूलती है कि जब उसके शरीर में अचानक बाल बढ़ने लगे तो उसे शुरू-शुरू में वाकई यह काफी अजीब लगता था। बालों को छिपाने के लिए वह लंबे-लंबे कपड़े पहनती थी। बाद में जब उसने बाल न कटवाने का फैसला किया तो परिवार ने उसका भरपूर साथ दिया। अब तो हरनाम के लिए यह सब असहज जैसा रहा ही नहीं, उलटे वह यहां तक कहती है, 'दाढ़ी-मूंछों के साथ अपने आपको मैं ज्यादा सेक्सी और सुंदर महसूस करती हूं।’
हरनाम ने अपनी अपवादिकता को जिस तरह अपनी स्वाभाविकता और दृढ़ता का हिस्सा बनाया, वह वाकई एक बड़ी मिसाल है। 23 साल की एक युवती जिसके आगे देह, सौंदर्य और फैशन को लेकर तमाम तरह के आकर्षण हों, वह इन सबसे अलग अपने लिए एक अलग स्थिति बनाती है, तो यह वाकई काबिले तारीफ है। हरनाम के मजबूत हौसले और इरादों का ही नतीजा है कि आज जब उसका नाम गूगल के सर्च इंजन पर डाला जाता है तो उसके जीवन से जुड़े तथ्यों के दस लाख से ज्यादा वेब पन्ने खुलते हैं। जाहिर है कि आज यह बहादुर सिखणी अपनी मुश्किलों के कारण नहीं बल्कि
उन मुश्किलों के खिलाफ तनकर खड़े होने के जज्बे के कारण पूरी दुनिया में इतनी लोकप्रिय है।
 

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