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बुधवार, 19 मार्च 2014

बेल्लारी की चुनावी सुषमा


बेल्लारी लोकसभा सीट 13वीं लोकसभा चुनावों के दौरान अचानक काफी चर्चा में आ गई और पूरे देश की निगाहें यहां के चुनावी नतीजे पर आकर ठहर गईं। दरअसल, यहां से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ने का एलान किया और उनके इस फैसले को भाजपा ने चुनौती देने की ठान ली। दिलचस्प है कि यह सोनिया का पहला चुनाव था। इस चुनाव में भाजपा ने अपनी तेज-तर्रार नेता सुषमा स्वराज को सोनिया के खिलाफ उतारने का फैसला किया। देखते-देखते यह मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बन गया। भाजपा इस चुनाव को रणनीतिक तौर पर देख रही थी। क्योंकि अगर सोनिया वहां से चुनाव हार जातीं तो उनका पॉलिटिकल करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता। इसके उलट सुषमा इसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी लोकप्रियता के बड़े मौके के रूप में देख रही थीं। सोनिया को हराने के लिए जनता दल और कुछ दूसरे दलों ने भी सुषमा का साथ दिया।
भाजपा ने इस चुनाव में स्वदेशी बनाम विदेशी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। बेल्लारी के वोटरों को यह बात रेखांकित करके बताई गई कि इंदिरा गांधी की बहू और राजीव गांधी की पत्नी इटली की रहने वाली हैं। भाजपा को सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा सूट कर रहा था और वह इसी मुद्दे पर सोनिया को घेर रही थी।
1952 से यहां महज दो बार कांग्रेस हारी थी। यही देखते हुए सोनिया को बेल्लारी एक सुरक्षित सीट लगी और वह यहां से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं। बहरहाल, सुषमा इस चुनाव में सोनिया से हार गईं। अलबत्ता उन्होंने यहां मुकाबले को जरूर दिलचस्प स्थिति में ला दिया था। उन्होंने सोनिया को घेरने के लिए बेल्लारी के गांवों-कस्बों की खूब खाक छानी। यहां तक कि उन्होंने कन्नड़ भी थोड़ी-बहुत इस दौरान सीख ली।
इसके जवाब में राहुल गांधी और खासतौर पर प्रियंका गांधी ने सोनिया के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। एक बात और यह कि सोनिया बेल्लारी के अलावा उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से भी चुनाव मैदान में उतरी थीं। उन्हें दोनों जगह से जीत मिली। हालांकि बाद में उन्होंने बेल्लारी की सीट से इस्तीफा दे दिया था।
 

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