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शुक्रवार, 6 जून 2014

बैंक में जमा पेड़

कॉलोनी का सातवां
और उसके आहाते का
आखिरी पेड़ था
जमा कर आया जिसे वह
अजन्मे पत्तों के साथ बैंक में
इससे पहले
बेसन मलती बरामदे की धूप
आलते के पांव नाचती सुबह
बजती रंगोलियां
रहन रखकर खरीदा था उसने
हुंडरु का वाटरफॉल

निवेश युग के सबसे व्यस्त चौराहे पर
गूंजेंगी जब उसके नाम की किलकारी
समय के सबसे खनकते बोल
थर-थराएंगे जब
पुश्तैनी पतलून का जिप चढ़ाते हुए
खड़ी होगी जब नई सीढ़ी
पुरानी छत से छूने आसमान
तब होगी उसके हाथों में
दुनिया के सबसे महकते
फूलों की नाममाला
फलों की वंशावली
पेड़ों के कंधों पर झूलता
भरत का नाट्यशास्त्र

बांचेगा वह कानों को छूकर
सन्न से गुजर जाने वाली
हवाओं के रोमांचक यात्रा अनुभव
आंखों के चरने के लिए होगा
एक भरा-पूरा एलबम
तितलियों के इशारों पर
डोलते-गाते मंजर
मिट्टी सोखती
पानी की आवाज बजेगी
उसके फोन के जागरण के साथ

पर वे पेड़
जहां झूलते हैं उसके सपने
वे आम-अमरूद और जामुन
चखती जिसे तोतों की पहली मौसमी पांत
वह आकाश
जहां पढ़ती हैं अंगुलियां अपने प्यार का नाम
वह छाया
जिसे बगीचे चुराते धूप से
वह धूल
जहां सनती गात बांके मुरारी की
कहां होंगे
किन पन्नों पर होगी
इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट
हारमोनियम से बजते रोम-रोम
किस बारहमासे से बांधेंगे युगलबंदी
आएंगे पाहुन कल भोर भिनसारे
कौवे किस मुंडेर पर गाएंगे
हमें देखकर कौन रोएगा
हम किसे देखकर गाएंगे
 

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