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दढ़ियल पांडेय जी की प्रेमिका
चिकने बांके द्विवेदी की जांघ पर कल दोपहर बेसुध मिली
खबर यह इतनी बड़ी कि
दंगों के दौरान पैदा होने वाली सनसनी भी
खोलने लगी आंचल की पुरानी गांठ
ठाकुर साहब की पूर्व ब्याहता
खिड़की के रास्ते दाखिल होकर
आवारा कुमार के संग एक ही तकिए पर भिगोती रही रात
झूलती रही झूला कई सालों तक एक साथ
सचाई यह इतनी बड़ी कि
तथ्य से बड़े सच की तरह
करने लगे सब मन मसोसकर स्वीकार
प्रेमिका का प्रेम ज्यादा बदला
प्रेमियों के नामों के मुकाबले
प्रेम के बहाने स्त्री अनुभूति का नया प्रस्थान बिंदु
कितना सघन कितना सिंधु
रिक्शे पर भाग-भागकर
पुराने प्रेम की गलियों को छोड़ना पीछे
बाइक उड़ा रहे प्रेमी के साथ भरना उड़ान
सपनों से भी आगे क्षितिज के भी पार
नए प्रेम पयर्टन का रोड मैप है
सफर की इस जल्दबाजी में
जो छूट गया पीछे
वह कुछ और नहीं
बस जेनरेशन गैप है
प्रेम एक अनुभव
एक अंतराल
लगातार और दूर तक बजता जलतरंग है
एतराज सिर्फ उन्हें जिनके नाखूनों से
छूटने लगे मांसल एहसास
गन्ने के खेत को जो लोग
गुड़-चीनी बनते देखने के हैं आदी
उनके लिए प्रेम होता है हमेशा रंगीन आख्यान
दांत कटे होठों से अश्लील शर्बत का पान
प्रेमिकाएं अब बांदी नहीं
पुरुष एहसास के जंगलों को
मनमाफिक झकझोर देनेवाली आंधी हंै
शर्मिंदगी का ऐनक चमकाकर
नहीं मिटाया जा सकता
उनकी आंखों के तीखेपन को काढ़ने वाला काजल
प्रेम का रंग सिंदूरी नहीं अबीरी है
सौभाग्यवतियों के देश में
पंडितों ने बांचा है नया फलादेश
तीज-करवा के चांद का मुंह है टेढ़ा
यह सीधी समझ बहुत दूर निकल गई
बर्फ की तरह जमी सदियों की प्रेम अनुभूति
आइसक्रीम की तरह पिघल रही
वफा से ज्यादा अनुभव का घाटा-मुनाफा
बटोरने में हर्ज क्या है
जब बाजार ने कर ही रखा है घोषित
स्त्री को देह और प्रेम को नए दौर का सबसे बड़ा संदेह
अब रोती-बिसूरती प्रेमिकाओं के सदाबहार गीत
आकाशवाणी बनकर नहीं फूटेंगे
नहीं टपकेगी रात किसी वियोगिनी की आंख से
नहीं महकेगी सांस किसी प्रिय की विदाई-आगमन से
बेवफा प्रेमिकाओं ने
वफादार प्रेमियों का मिथक तोड़ दिया है
16.08.10
16.08.10