देश में इन दिनों सियासत खूब गरमाई हुई है। लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दल ही सिर्फ अपने पत्ते फेंटने में नहीं लगे हैं बल्कि समाज के विभिन्न हिस्सों-तबकों में भी इसको लेकर दिलचस्पी खासी बढ़ गई है। सब कह रहे हैं कि इस बार का चुनाव देश की राजनीतिक धारा को वैकल्पिक मोड़ देगा, सो चुनावी मैदान में क्रांतिकारी मंसूबे के साथ कई अराजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग भी कूद रहे हैं। ऐसे ही नामों में एक बड़ा नाम है सत्यपाल सिंह का। सिंह ने अपनी सियासी पारी के लिए मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि वह भाजपा या आम आदमी पार्टी के टिकट पर अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम पर सत्यपाल सिह का कहना इतना भर है कि वह राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और विश्व शांति के लिए काम करना चाहते हैं। उनके ही शब्दों में, 'मैंने अभी यह तय नहीं किया है कि मैं किस पार्टी में शरीक होऊंगा। आपको दो से तीन दिन में इसके बारे में जानकारी मिल जाएगी।’ वैसे सत्यपाल भले अपने मुंह से कुछ न कहें पर उनको लेकर कयासबाजी खूब चल रही है। सूत्रों की मानें तो वे भाजपा के टच में हैं और पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश के मेरठ या बागपत सीट से लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है। बता दें कि इससे पहले उन्होंने इशरतजहां एनकाउंटर केस में गुजरात हाईकोर्ट की एसआईटी की अगुवाई करने से इनकार कर दिया था।
इन संभावनाओं को पर लगने के पीछे कुछ और वजहें भी हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सिह की बातचीत पहले ही हो चुकी है। उनका भाजपा में शामिल होना तकरीबन तय है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पिछले दिनों उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिह व पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत के बाद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को सिह से संपर्क साधने के लिए कहा था। सत्यपाल सिह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के भी करीबी बताए जाते हैं। वैसे उन्हें आम आदमी पार्टी से भी मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर मिला है, ऐसी खबरें भी मीडिया के कुछ हल्कों में चल रही हैं।
29 नवंबर 1955 में मेरठ के बसौली में पैदा हुए सत्यपाल सिह की स्कूली पढ़ाई बागपत में हुई। इसके बाद उन्होंने मेरठ से रसायन विज्ञान में एमएससी और फिर एमफिल किया। रसायन शास्त्र के वैज्ञानिक बनने की ओर बढ़ रहे सिह पीएचडी करना चाहते थे, लेकिन अचानक उनका मूड बदल गया और उन्होंने आईपीएस की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच वे ऑस्ट्रेलिया चले गए और वहां पर एमबीए करने लगे। एमबीए करने के दौरान भी उन्होंने आईपीएस बनने के लक्ष्य को छोड़ा नहीं। वापस भारत आए तो लोक प्रशासन में एमए किया और फिर इसी विषय में पीएचडी में दाखिला लिया। इसी दौरान उन्होंने आईपीएस की तैयारी तेज कर दी और परीक्षा पास कर ली।
सत्यपाल सिह महाराष्ट्र पुलिस में कई पदों पर रह चुके हैं। मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने से पहले वह महाराष्ट्र के एडिशनल डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) थे। इसके पहले वह पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। इसके अलावा डेप्युटेशन पर वह सीबीआई में भी काम कर चुके हैं।
धर्म और अध्यात्म में तो खासतौर पर उनकी गहरी रुचि है। उन्होंने अध्यात्म व नैतिक मूल्यों पर कई किताबें भी लिखी हैं। पिछले साल उनकी किताब 'तलाश इंसान की’ का विमोचन अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर ने किया था।
बहरहाल, एक बात तो तय है कि सिंह ने जिस उम्मीद के साथ अपनी सियासी पारी खेलने का मन बनाया होगा, उसके पूरे होने के इस बार के लोकसभा चुनाव में आसार काफी हैं। अलबत्ता यह इस बात पर जरूर निर्भर करेगा कि वह किस पार्टी का झंडा थामते हैं। एक बात और यह कि सत्यपाल सिंह जैसे लोग अगर सियासी मैदान में उतर रहे हैं तो इससे देश की राजनीति के साफ-सुथरा और प्रभावी होने के आसार काफी बढ़
गए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम पर सत्यपाल सिह का कहना इतना भर है कि वह राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और विश्व शांति के लिए काम करना चाहते हैं। उनके ही शब्दों में, 'मैंने अभी यह तय नहीं किया है कि मैं किस पार्टी में शरीक होऊंगा। आपको दो से तीन दिन में इसके बारे में जानकारी मिल जाएगी।’ वैसे सत्यपाल भले अपने मुंह से कुछ न कहें पर उनको लेकर कयासबाजी खूब चल रही है। सूत्रों की मानें तो वे भाजपा के टच में हैं और पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश के मेरठ या बागपत सीट से लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है। बता दें कि इससे पहले उन्होंने इशरतजहां एनकाउंटर केस में गुजरात हाईकोर्ट की एसआईटी की अगुवाई करने से इनकार कर दिया था।
इन संभावनाओं को पर लगने के पीछे कुछ और वजहें भी हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सिह की बातचीत पहले ही हो चुकी है। उनका भाजपा में शामिल होना तकरीबन तय है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पिछले दिनों उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिह व पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत के बाद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को सिह से संपर्क साधने के लिए कहा था। सत्यपाल सिह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के भी करीबी बताए जाते हैं। वैसे उन्हें आम आदमी पार्टी से भी मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर मिला है, ऐसी खबरें भी मीडिया के कुछ हल्कों में चल रही हैं।
29 नवंबर 1955 में मेरठ के बसौली में पैदा हुए सत्यपाल सिह की स्कूली पढ़ाई बागपत में हुई। इसके बाद उन्होंने मेरठ से रसायन विज्ञान में एमएससी और फिर एमफिल किया। रसायन शास्त्र के वैज्ञानिक बनने की ओर बढ़ रहे सिह पीएचडी करना चाहते थे, लेकिन अचानक उनका मूड बदल गया और उन्होंने आईपीएस की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच वे ऑस्ट्रेलिया चले गए और वहां पर एमबीए करने लगे। एमबीए करने के दौरान भी उन्होंने आईपीएस बनने के लक्ष्य को छोड़ा नहीं। वापस भारत आए तो लोक प्रशासन में एमए किया और फिर इसी विषय में पीएचडी में दाखिला लिया। इसी दौरान उन्होंने आईपीएस की तैयारी तेज कर दी और परीक्षा पास कर ली।
सत्यपाल सिह महाराष्ट्र पुलिस में कई पदों पर रह चुके हैं। मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने से पहले वह महाराष्ट्र के एडिशनल डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) थे। इसके पहले वह पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। इसके अलावा डेप्युटेशन पर वह सीबीआई में भी काम कर चुके हैं।
धर्म और अध्यात्म में तो खासतौर पर उनकी गहरी रुचि है। उन्होंने अध्यात्म व नैतिक मूल्यों पर कई किताबें भी लिखी हैं। पिछले साल उनकी किताब 'तलाश इंसान की’ का विमोचन अमिताभ बच्चन और जावेद अख्तर ने किया था।
बहरहाल, एक बात तो तय है कि सिंह ने जिस उम्मीद के साथ अपनी सियासी पारी खेलने का मन बनाया होगा, उसके पूरे होने के इस बार के लोकसभा चुनाव में आसार काफी हैं। अलबत्ता यह इस बात पर जरूर निर्भर करेगा कि वह किस पार्टी का झंडा थामते हैं। एक बात और यह कि सत्यपाल सिंह जैसे लोग अगर सियासी मैदान में उतर रहे हैं तो इससे देश की राजनीति के साफ-सुथरा और प्रभावी होने के आसार काफी बढ़
गए हैं।
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