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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

कामयाबी का सॉफ्टवेयर

मैं 46 साल का हूं। 22 सालों से शादीशुदा हूं। मेरे तीन बच्चे हैं। जो लोग मुझे जानते हैं वे कहते हैं कि मेरी पहचान मेरी जिज्ञासा और सीखने की उत्कंठा है। मैं जितनी किताबें पढ़ सकता हूं उससे कहीं ज्यादा किताबें खरीदता हूं। मैं जितने ऑनलाइन कोर्सेज कर सकता हूं, उससे कहीं ज्यादा कोर्सेज में दाखिला लेता हूं। परिवार, जिज्ञासा और ज्ञान की भूख ही मुझे परिभाषित करते हैं। ये बातें वह आदमी अपने बारे में अपने साथियों के साथ साझा कर रहा है, जिसे इस बात का फL हासिल होने जा रहा है कि दुनिया के कंप्यूटर और टेक्नॉलाजी के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का नया सीईओ होगा। दरअसल, हम बात कर रहे हैं सत्या नडेला की।
दुनिया की इस चौथी बड़ी कंपनी के प्रमुख बिल गेट्स ने सीईओ के रूप में सत्या के नाम की घोषणा करते हुए कहा, 'माइक्रोसॉफ्ट के सामने आज पहले से कहीं ज्यादा चुनौतियां हैं। लेकिन हमारे सामने ढेèरों मौके भी हैं और मुझे खुशी है कि उन मौकों को हासिल करने के लिए हमें एक मजबूत नेता मिला है।’ साफ है कि सत्या ने नाम, सम्मान और सफलता की यह ऊंचाई ऐसे ही नहीं हासिल की है।
पूर्व आईएएस अधकारी के बेटे सत्या 1992 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े और कंपनी से मिली भूमिकाओं में खुद को साबित करते आए। उनकी अलग सोच और तेज रणनीति के नतीजे से कंपनी को अपनी साख और सफलता का ग्लोबल रकबा बढ़ाने में खासी मदद मिली। उन्होंने सर्च इंजन बिग और माइक्रोसोफ्ट ऑफिस के क्लाउड वर्जन ऑफिस 365 को लांच करने में अहम भूमिका निभाई है।
सत्या नडेला के माइक्रोसॉफ्ट का नया बॉस बनने पर भारत में भी काफी खुशी का आलम है। ऐसा इसलिए क्योंकि सत्या की पैदाइश भारत की है। उनका जन्म 1967 में हैदराबाद में हुआ। वे बचपन से ही काफी तेजस्वी और कुशाग्र थे। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई से लेकर उच्चतर शिक्षा भी भारत में ही पूरी की। दिलचस्प है कि आज भले सत्या को कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र में एक बेहतरीन प्रतिभा के रूप में देखा जा रहा हो पर उनकी पहली पसंद कभी क्रिकेट खेलना था। अलबत्ता उनकी यही पसंद बाद में उनके लिए अलग तरीके से मददगार भी साबित हुई।
वे खुद कहते भी हैं, 'मुझे लगता है कि क्रिकेट से मैंने टीम में खेलने और नेतृत्व के बारे में सीखा और मेरे पूरे करियर में वह मेरे साथ रहा।’ आज जिस तरह के क्षेत्र में सत्या हैं उसमें प्रतिभा के साथ एकाग्रता और धैर्य की काफी जरूरत है। यही कारण है कि उन्हें आज भी फटाफट क्रिकेट की बजाय टेस्ट क्रिकेट देखना पसंद है। इसकी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि दुनिया में कोई भी खेल इतने लंबे समय तक नहीं खेला जाता। यह बिल्कुल किसी रूसी नॉवेल को पढ़ने जैसा है। सत्या को उनकी नई नियुक्ति के लिए खूब सारी शुभकामनाएं।

 

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