इससे पहले केजरीवाल जब 25 मार्च को वाराणसी पहुंचे थे तो उन्होंने सबसे
पहले वहां गंगा स्नान किया था। इसके बाद वे पूजा अर्चना के लिए प्रसिद्ध
काशी विश्वनाथ मंदिर गए थे। बताया जाता है कि इस दौरान उनके कई समर्थकों ने
हाथों में केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक और तिरंगा थाम रखे थे। सोशल मीडिया पर इस संबंध में एक
वीडियो के वायरल हो जाने के बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा।
मामले ने तब गंभीर मोड़ ले लिया जब स्थानीय पंडितों ने केजरीवाल व उनके समर्थकों के ऐसा करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। भाजपा की वाराणसी इकाई ने भी पंडितों के विरोध को जायज ठहराया और उसका समर्थन किया। इस सिलसिले में पिछले दिनों में वहां कई जगहों पर प्रदर्शन भी किए गए और आप नेताओं के पुतले फूंके गए।
काशी के पंडितों के एक संगठन ने इस बाबत राज्य निर्वाचन आयोग को भी एक शिकायती चिट्ठी लिखी थी, जिस पर जांच के बाद आयोग ने अपना फैसला सुनाया है। मंदिरों में केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक
के साथ जाने पर रोक की खबर आने पर केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा है कि यह सब भाजपा समर्थकों द्बारा वाराणसी के चुनाव को मुद्दे से भटकाने की कोशिश है। हालांकि केजरीवाल ने आयोग के निर्णय को चुनौती नहीं दी है पर यह खतरा जरूर जताया है कि इससे वाराणसी के लोकसभा चुनाव में विरोधियों द्बारा धार्मिक भावना भड़काने की उनकी आशंका सही साबित हुई है।
आप के प्रवक्ता और नई दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ रहे आशुतोष ने कहा है कि केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक गंदगी का नहीं बल्कि सफाई का प्रतीक है, इसलिए इस पर रोक का कोई तुक नहीं बैठता है। वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई का कहना है कि सवाल केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक का नहीं है बल्कि आप के चुनाव चिह्न का है। पार्टी की तरफ से मीडिया को जारी विज्ञप्ति में राज्य चुनाव आयोग की इस बात के लिए तारीफ की गई है कि उसने समय रहते एक सही और जरूरी फैसला लिया है।
इस मामले में सपा और बसपा की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वैसे अंदरखाने की खबर यह है कि आयोग के इस फैसले की सभी आप विरोधियों ने सराहना ही की है।
इस बीच, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर दो तरह की राय आ रही हैं। कुछ लोग इसे वाराणसी में मोदी के खिलाफ बढ़ी चुनौती के खिलाफ एक बड़ी साजिश का हिस्सा मान रहे हैं, तो कुछ लोगों का यह कहना है कि यह एक जरूरी और सही फैसला है। आप नेताओं और उनके समर्थकों के केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक
के साथ मंदिरों में प्रवेश पर रोक लगाकर राज्य निर्वाचन आयोग ने वाराणसी के चुनाव को निर्विवादित बनाने की कोशिश की है, जिसकी सराहना होनी चाहिए। बहरहाल, आगे यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
मामले ने तब गंभीर मोड़ ले लिया जब स्थानीय पंडितों ने केजरीवाल व उनके समर्थकों के ऐसा करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। भाजपा की वाराणसी इकाई ने भी पंडितों के विरोध को जायज ठहराया और उसका समर्थन किया। इस सिलसिले में पिछले दिनों में वहां कई जगहों पर प्रदर्शन भी किए गए और आप नेताओं के पुतले फूंके गए।
काशी के पंडितों के एक संगठन ने इस बाबत राज्य निर्वाचन आयोग को भी एक शिकायती चिट्ठी लिखी थी, जिस पर जांच के बाद आयोग ने अपना फैसला सुनाया है। मंदिरों में केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक
के साथ जाने पर रोक की खबर आने पर केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा है कि यह सब भाजपा समर्थकों द्बारा वाराणसी के चुनाव को मुद्दे से भटकाने की कोशिश है। हालांकि केजरीवाल ने आयोग के निर्णय को चुनौती नहीं दी है पर यह खतरा जरूर जताया है कि इससे वाराणसी के लोकसभा चुनाव में विरोधियों द्बारा धार्मिक भावना भड़काने की उनकी आशंका सही साबित हुई है।
आप के प्रवक्ता और नई दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ रहे आशुतोष ने कहा है कि केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक गंदगी का नहीं बल्कि सफाई का प्रतीक है, इसलिए इस पर रोक का कोई तुक नहीं बैठता है। वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई का कहना है कि सवाल केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक का नहीं है बल्कि आप के चुनाव चिह्न का है। पार्टी की तरफ से मीडिया को जारी विज्ञप्ति में राज्य चुनाव आयोग की इस बात के लिए तारीफ की गई है कि उसने समय रहते एक सही और जरूरी फैसला लिया है।
इस मामले में सपा और बसपा की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वैसे अंदरखाने की खबर यह है कि आयोग के इस फैसले की सभी आप विरोधियों ने सराहना ही की है।
इस बीच, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर दो तरह की राय आ रही हैं। कुछ लोग इसे वाराणसी में मोदी के खिलाफ बढ़ी चुनौती के खिलाफ एक बड़ी साजिश का हिस्सा मान रहे हैं, तो कुछ लोगों का यह कहना है कि यह एक जरूरी और सही फैसला है। आप नेताओं और उनके समर्थकों के केजरी के झाडू पर मंदिरों में रोक
के साथ मंदिरों में प्रवेश पर रोक लगाकर राज्य निर्वाचन आयोग ने वाराणसी के चुनाव को निर्विवादित बनाने की कोशिश की है, जिसकी सराहना होनी चाहिए। बहरहाल, आगे यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
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