ऐसा बहुत कम होता है कि आपके साथ एक तरफ तो अन्याय हो, वहीं दूसरी तरफ
अन्याय के खिलाफ एक बड़े संघर्ष का आप प्रतीक बन जाएं। अमेरिका में भारतीय
राजनयिक देवयानी खोब्रागडे के साथ बदसलूकी का मामला ऐसा ही है। इस साल
जून-जुलाई से शुरू हुए इस मामले ने साल के आखिर आते-आते ऐसा तूल पकड़ा कि
भारत और अमेरिका का संबंध कई नजरिए से निर्णायक मोड़ पड़ पहुंच गया है। भारत
इस पूरे मामले पर अमेरिका से बिना शर्त माफी चाहता है तो अमेरिका महज खेद
जताकर मामले को कानूनी दरकार का पैरहन देकर उसे रफा-दफा करना चाहता है।
दिलचस्प है कि इस पूरे मामले के केंद्र में खड़ी देवयानी खोब्रागडे के हवाले से न तो मीडिया में कोई बात आ रही है और न ही भारत सरकार उसके हवाले से कोई बड़ा खुलासा कर रही है। ऐसे में देवयानी को लेकर जो बातें हो रही हैं, उसके आधार पर लोग उनकी एक अनुमानित या आभासित शख्सियत खींच रहे हैं। इस सब में सबसे ज्यादा मदद कर रही है देवयानी की कुछ तस्वीरें, जो इंटरनेट के जरिए सबके लिए सुलभ हैं। तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं पर इनसे जिंदगी के मुकम्मल सच का खुलासा हो जाता है, आप ऐसा भी नहीं कह सकते। देवयानी मामले में आज ऐसा ही हो रहा है, उसकी तस्वीर देखकर और उसके बारे में हालिया प्रसंग में कुछ बातें जान-सुनकर लोग तमाम तरह की बातें सोचने-कहने लगे हैं। पर जब देवयानी के व्यक्तिगत सच के बारे में पता करते हैं तो इनमें से कुछ बातें सिरे से खारिज हो जाती हैं।
देवयानी मुंबईकर हैं। उनके पिता उत्तम खोब्रागडे आईएस ऑफिसर थे। देवयानी की शुरुआती तालीम एक बड़े कॉन्वेंट स्कूल में पूरी हुई। बाद में उन्होंने सेंट जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। पर देवयानी के लिए अंतिम गंतव्य शायद यही नहीं था। उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए एक दूसरा रास्ता चुना। यह रास्ता भारतीय विदेश सेवा का था। मेडिकल जैसे प्रोफेशन को छोड़कर एकाएक दूसरी दिशा में अपने करियर को मोड़ने का फैसला आसान नहीं था। पर उनके लिए जिंदगी का मतलब शायद एक बनी बनाई लीक पर आगे बढ़ना भर नहीं था। देवयानी को जिंदगी में शायद वो सब तजुर्बे चाहिए थे जिसके लिए सात समंदर पार करना जरूरी है।
देवयानी के चाचा डॉ. अजय एम गोडाने आईएफएस 1985 बैच के अधिकारी थे। संभवत: चाचा को देखकर ही देवयानी ने अपना इरादा बदला हो। सुंदर और कुशाग्र देवयानी ने 1999 में अपने इरादे के मुताबिक कामयाबी पा ली। वह आईएफएस की परीक्षा पास कर गईं। अमेरिका में भारतीय राजनयिक का पद संभालने से पहले देवयानी ने पाकिस्तान, इटली और जर्मनी में भारत के राजनयिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
देवयानी ने एक प्रोफेसर से शादी की है और उनकी दो बेटियां हैं। उनका भाषा ज्ञान खासा समृद्ध है। वह हिंदी के साथ अंग्रेजी और जर्मन भाषा पर समान अधिकार रखती हैं। इसके अलावा उनकी विभिन्न देशों की राजनीतिक और सांस्कृतिक समझ भी काफी अच्छी है। अध्ययन, पर्यटन, संगीत और योग को पसंद करने वाली देवयानी ने अपनी जिंदगी में सीखने और आगे बढ़ने का रास्ता अब भी खुला रखा है। इसी का नतीजा रहा कि पिछले साल वह चेवनिंग रोल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चयनति हुईं।
विवादों से देवयानी का नाता नया नहीं है। दो साल पहले जब मुंबई के आदर्श सोसायटी का घोटाला सामने आया तो सोसायटी में अवैध तरीके से फ्लैट बुक कराने वालों में उनका भी नाम था। वैसे देवयानी के बारे में यह जानना भी जरूरी है कि वह दलितों के लिए लैंगिक समानता के लिए काम करना चाहती है। बहुत संभव है कि विवादों के मौजूदा चक्रव्यूह से निकलने के बाद वह अपनी जिंदगी की इस चाह को पूरा करने के बारे में गंभीरता से विचार करे।
दिलचस्प है कि इस पूरे मामले के केंद्र में खड़ी देवयानी खोब्रागडे के हवाले से न तो मीडिया में कोई बात आ रही है और न ही भारत सरकार उसके हवाले से कोई बड़ा खुलासा कर रही है। ऐसे में देवयानी को लेकर जो बातें हो रही हैं, उसके आधार पर लोग उनकी एक अनुमानित या आभासित शख्सियत खींच रहे हैं। इस सब में सबसे ज्यादा मदद कर रही है देवयानी की कुछ तस्वीरें, जो इंटरनेट के जरिए सबके लिए सुलभ हैं। तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं पर इनसे जिंदगी के मुकम्मल सच का खुलासा हो जाता है, आप ऐसा भी नहीं कह सकते। देवयानी मामले में आज ऐसा ही हो रहा है, उसकी तस्वीर देखकर और उसके बारे में हालिया प्रसंग में कुछ बातें जान-सुनकर लोग तमाम तरह की बातें सोचने-कहने लगे हैं। पर जब देवयानी के व्यक्तिगत सच के बारे में पता करते हैं तो इनमें से कुछ बातें सिरे से खारिज हो जाती हैं।
देवयानी मुंबईकर हैं। उनके पिता उत्तम खोब्रागडे आईएस ऑफिसर थे। देवयानी की शुरुआती तालीम एक बड़े कॉन्वेंट स्कूल में पूरी हुई। बाद में उन्होंने सेंट जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। पर देवयानी के लिए अंतिम गंतव्य शायद यही नहीं था। उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए एक दूसरा रास्ता चुना। यह रास्ता भारतीय विदेश सेवा का था। मेडिकल जैसे प्रोफेशन को छोड़कर एकाएक दूसरी दिशा में अपने करियर को मोड़ने का फैसला आसान नहीं था। पर उनके लिए जिंदगी का मतलब शायद एक बनी बनाई लीक पर आगे बढ़ना भर नहीं था। देवयानी को जिंदगी में शायद वो सब तजुर्बे चाहिए थे जिसके लिए सात समंदर पार करना जरूरी है।
देवयानी के चाचा डॉ. अजय एम गोडाने आईएफएस 1985 बैच के अधिकारी थे। संभवत: चाचा को देखकर ही देवयानी ने अपना इरादा बदला हो। सुंदर और कुशाग्र देवयानी ने 1999 में अपने इरादे के मुताबिक कामयाबी पा ली। वह आईएफएस की परीक्षा पास कर गईं। अमेरिका में भारतीय राजनयिक का पद संभालने से पहले देवयानी ने पाकिस्तान, इटली और जर्मनी में भारत के राजनयिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
देवयानी ने एक प्रोफेसर से शादी की है और उनकी दो बेटियां हैं। उनका भाषा ज्ञान खासा समृद्ध है। वह हिंदी के साथ अंग्रेजी और जर्मन भाषा पर समान अधिकार रखती हैं। इसके अलावा उनकी विभिन्न देशों की राजनीतिक और सांस्कृतिक समझ भी काफी अच्छी है। अध्ययन, पर्यटन, संगीत और योग को पसंद करने वाली देवयानी ने अपनी जिंदगी में सीखने और आगे बढ़ने का रास्ता अब भी खुला रखा है। इसी का नतीजा रहा कि पिछले साल वह चेवनिंग रोल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चयनति हुईं।
विवादों से देवयानी का नाता नया नहीं है। दो साल पहले जब मुंबई के आदर्श सोसायटी का घोटाला सामने आया तो सोसायटी में अवैध तरीके से फ्लैट बुक कराने वालों में उनका भी नाम था। वैसे देवयानी के बारे में यह जानना भी जरूरी है कि वह दलितों के लिए लैंगिक समानता के लिए काम करना चाहती है। बहुत संभव है कि विवादों के मौजूदा चक्रव्यूह से निकलने के बाद वह अपनी जिंदगी की इस चाह को पूरा करने के बारे में गंभीरता से विचार करे।
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