चासनी के तार की तरह बिन टूटे लगातार
कब से गूंज रही हो तुम रेडियो-टीवी-पंडालों में
भोर-भोर तक रात-रात तक
परदे की सबसे कुलीन बालाओं ने गूथे हैं केश तुम्हारे
बनाया है उबटन
पहनायी है पोशाकें परीजादियों को
सोलह-सोलह दासियों के साथ
शरारती तितलियों की कई-कई पीढ़ियों ने
खोले हैं पर तुम्हारे इशारों पर
बजती मुस्कानों के न जाने कितने सुलेख हैं तुम्हारे नाम
पर ऐसा क्यों है लता मंगेशकर
कि नहीं गा सकते वे बच्चे तुम्हें
जो चीखते हैं डरते हैं बिल्लियों से देर-देर रात
टीवी देखने के बाद
नहीं चढ़ सकते गीत तुम्हारे उन पहाड़ों पर
जिसे चढ़ता है भारत का सबसे बूढ़ा बचपन
लादे पीठ पर अपने समय का सबसे फासिस्ट बयान
छत पर टहलती रागिनी चांदनी को चखता संगीत
क्या कुछ नहीं झरता है तुमसे
संवेदना की आंखों से कढ़ा सबसे रेशमी रुदन
अनमोल गीत-भजन
झुनझुना बजाती लोड़ियां
पर स्वर कोकिले
कभी क्यों नहीं गाया गीत तुमने
उन कस्बों-गांवों के लिए
जहां बची है अब सिर्फ चिलचिलाती धूप
चर्र-चर्र करती बूढ़ी टूटी खाट
उन पनिहारिनों के लिए
जिनके मटके फोड़ दिए हैं
बोतलबंद शरबत के ठेकेदारों ने
उन लकड़ियों के लिए
जिनसे खुरच लिए गए हैं जंगली गंध
काई-कजरी-झिंगुर की आवाज
समुद्र लांघते बगुलों के घर
बताओ न लता मंगेशकर
क्यों अजन्मे रहे वे गीत अब तक
जिससे न लगे ग्रहण न करना पड़े कुंभ स्नान
आखिर क्यों नहीं भरा आलाप तुमने
युगों से लगती डुबकियों के खिलाफ
और हां स्वर सम्राज्ञी
तुम्हारा विजिटिंग कार्ड सबके पास है
सबको तुम्हारे गाने की प्रीमियम फीस का पता है
पर तुम्हें नहीं पता शायद कि माटी ढहती भीतों पर
अब भी बैठे हैं सुग्गे
लिखा है कोहबर
गाती हैं महिलाएं रेघाते हुए एक साथ
पहुंचती है पोर-पोर तक बेटी बेचवा की टीस
यहां सबसे गैरजरूरी है यह सामान्य ज्ञान
भारत की सबसे सुरीली बेटी का नाम
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